Wednesday 21 December 2011

इंसानियत

इंसानियत से शुरू इंसानियत पर ख़त्म इंसान की कहानी है 
पैमानाये इंसानियत इंसानियत को जिससे मिलती रवानी है 




इंसानियत की खूबी इंसानियत और येही इंसानियत का नजरिया
इंसानों के बाद रह जानी जो इंसानियत ही तो वो निशानी है




इंसानियत एक अनकहा मज़हब जो हर धर्म का धर्म है ठहरा 
इसे धारण करने के बाद ही सच्चे अर्थों में फैलती रौशनी है 



भाईचारा और अमन चैन ही इंसानियत में अहमियत रखते 
हर सम्प्रदाय की इज्ज़त करना ही इंसानियत की जवानी है 




धरती अम्बर हवा पानी का स्वार्थ ही निस्वार्थ सेवा  है 
इंसानों में परस्पर सद्भाव देखके इंसानियत सफल होनी है 



1 comment:

  1. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.

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